सिवनी। मप्र के 89 आदिवासी विकासखण्ड के छात्रों के साथ फिर भेदभाव किया गया है। मामला यह है कि मध्यप्रदेश में 1 तारीख से प्राथमिक/माध्यमिक शाला में अतिथि शिक्षक भर्ती करने के आदेश लोकशिक्षण आयुक्त भोपाल के आदेश क्रमांक/समग्र/शि.अ/अतिथि/शिक्षक/2012/2371/ भोपाल दिनाँक 25/8/21 ओर संचालक लोकशिक्षण भोपाल के पत्र क्रमांक 2392/2021 दिनाँक 27/8/21 समस्त जिला शिक्षा अधिकारी, समस्त कलेक्टर, समस्त जिला पंचायत सीईओ, समस्त डी पी सी, समस्त संकुल प्राचार्य को प्रतिलिपि सूचनार्थ किया कि अतिथि शिक्षक प्राथमिक/ माध्यमिक भर्ती करे परन्तु जानबूझ कर 89 आदिवासी विकासखण्ड में अतिथि शिक्षक भर्ती के लिए आयुक्त जनजातीय ओर समस्त सहायक आयुक्त जनजातीय मध्यप्रदेश को अपने पत्र में प्रति लिपि सूचना नही किया। जिससे 89 विकासखण्ड में अतिथिशिक भर्ती नही हो पाई अभी तक यही दूर ब्यौहार पूर्व में किया गया था जिसका पत्र क्रमांक 1525 दिनाँक 30/6/21 था और मैने निवेदंन किया फिर आयुक्त लोकशिक्षण ने आयुक्त जनजातीय को सूचनार्थ किया तब 89 आदिवासी विकासखंड में 16/7/21 को हाई ओर हायर सेकेंडरी में अतिथि शिक्षक भर्ती हुई।
इस समस्या को सिवनी से 154 किलोमीटर सुदूर घँसौर जनपद के ग्राम पंचायत झिंझरई निवासी समाज सेवी नारायण सिंह पटेल ने पुनः निवेदंन लोकशिक्षण आयुक्त भोपाल से किया है कि तत्काल 89 आदिवासी विकासखंड में अतिथि शिक्षक भर्ती के आदेश जारी करे और सभी आदेश में समस्त सहायक आयुक्त जनजातीय को सूचित किया जाना सुनिश्चित करे। आदिवासी छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ शोषण बंद करे। सबसे ज्यादा आदिवासी विकासखंड में शून्य शिक्षक शाला है। उसका उदाहरण घँसौर विकासखंड सिवनी ओर मवई विकासखंड मण्डला है। वही इस पीड़ा को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष नई दिल्ली को भी अवगत कराया गया है कि इस प्रकार का भेदभाव बंद करने वही पहली से बारहवीं तक परीक्षा, मूल्यांकन लोकशिक्षण लेता है, करता है। फिर अलग-अलग आदेश की समीक्षा होना चाहिए का निवेदंन अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग दिल्ली से किया गया है।
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