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सच्चा मनुष्य बनने की प्रेरणा है निराला का साहित्य

वसंत पंचमी और महाकवि निराला की 125 वीं जयंती का हुआ आयोजन

सिवनी। हिंदी के महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक सौ पच्चीसवीं जयंती और वसंत पंचमी के संयुक्त आयोजन में काॅलेज के प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने साहित्यकार निराला को याद किया। साथ ही विद्या की देवी मां सरस्वती का पूजन अर्चन और वंदन भी किया।
पीजी काॅलेज के हिंदी विभाग के प्रेमचंद कक्ष में महान रचनाकार निराला की 125 वीं जयंती के अवसर पर प्राचार्य डॉ. रविशंकर नाग ने कहा कि हजारों वर्षों के बाद निराला जैसा महाकवि पैदा होता है। कहा कि निराला अपने व्यक्तित्व और कृतित्व में भी निराला ही थे।

डॉ. नाग ने बताया कि महाकवि निराला आनंद और विषाद, सुख और दुख, राग और विराग के महाकवि थे। उनकी रचनाओं में जीवन अपनी रचना चलता के साथ झलकता है। कहा कि उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं।
हिंदी की विभाग अध्यक्ष डॉ. सविता मसीह ने कहा कि बसंत पंचमी का त्यौहार हमें समृद्ध होने की प्रेरणा देता है। बसंत पंचमी को ही निराला की जयंती मनाई जाती है। कहा कि निराला जैसा कवि कोई दूसरा नहीं हुआ है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा की पीड़ा और दुख ही व्यक्ति को महान रचनाकार बनाते हैं। बताया कि महाकवि निराला ने अपनी युवा बिटिया के निधन से व्यथित होकर ‘सरोज स्मृति’ जैसा विश्व प्रसिद्ध शोक गीत लिखा है, जो साहित्य में दुर्लभ है। कहा कि महाप्राण निराला की कविताएँ हमें अपने दुखों पर विजय प्राप्त करने की सीख देती हैं। कहा कि निराला का साहित्य सच्चा मनुष्य बनने की प्रेरणा है।

कार्यक्रम के दौरान राजनीति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. ज्योत्सना नावकर ने निराला की प्रसिद्ध कविता का सस्वर पाठ भी किया।

कार्यक्रम में डाॅ. रवींद्र दिवाकर, डॉ सीमा भास्कर, डॉ. एमसी सनोडिया, डॉ. मानसिंह बघेल, लाइब्रेरियन सीएल अहिरवार, रामकुमार बघेल, डॉ रत्नेश सैनी, अतिथि विद्वान पूनम ठाकुर, अमितोष सनोडिया, डॉ. सुनीता साकेत समेत यूजी और पीजी कक्षाओं के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में मौजूद थे।

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