बंडोल अस्पताल में सुरक्षा कर्मी नदारत, आये दिन विवाद, बंद जनरेटर, डॉक्टर की कमी

सिवनी। शासकीय अस्पताल में मरीजों का समुचित उपचार हो सके और अस्पताल में साफ-सफाई के साथ सुरक्षा व्यवस्था के बंदोबस्त भी रहे इसके लिए भारी-भरकम बजट आवंटित होता है, बावजूद जिले के अनेक सरकारी अस्पताल इन सब मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। जिसके चलते गरीब व मध्यम परिवारों के मरीजों का समुचित उपचार नहीं हो पा रहा है।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंडोल में जहां 1 माह में लगभग 40-45 डिलीवरी होती हैं व अन्य में बीमारी से ग्रसित मरीज उपचार कराने बड़ी संख्या में यहां आते हैं। यहां महिला चिकित्सक समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी, व सुरक्षा कर्मी का अभाव लंबे समय से बना हुआ है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंडोल के महिला वार्ड में 6 और पुरुष वार्ड में चार पलंग है। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं। साथ ही रात में भर्ती मरीज व यहां पदस्थ ड्यूटीरत महिला-पुरुष स्वास्थ्य कर्मी की सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड पिछले कई सालों से मौजूद नहीं है।

असामाजिक तत्वों ने किया विवाद – बंडोल के अस्पताल में पिछले 8-9 साल से एक भी सुरक्षा गार्ड नहीं है जिसके चलते आए दिन अस्पताल में असामाजिक तत्वों की मौजूदगी बनी रहती है। आए दिन स्वास्थ्य कर्मी के साथ वाद-विवाद की घटना सामने आती है। स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बताया कि कई लोग शराब के नशे में शराबी अस्पताल में पहुंचकर उत्पात मचाते हैं। अस्पताल के खाली पलंग में आकर लेट जाते हैं। मना करने पर वाद-विवाद करते हैं।

सरकारी संपत्ति को पहुंचाया नुकसान – स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बताया कि हाल ही के दिनों में यहां के अस्पताल के निरीक्षण के लिए दिल्ली की टीम आई थी।टीम के निरीक्षण के लिए अस्पताल की कुछ कुर्सी, बेंच, गमले आदि बाहर निकाल कर रखे गए थे। टीम के निरीक्षण के बाद कुछ असामाजिक तत्व अस्पताल पहुंचे और अस्पताल परिसर में रखे गए कुर्सी, टेबल, बेंच, गमले तोड़ दिए। इस मामले की शिकायत स्वास्थ्य कर्मी ने बंडोल थाने में की थी। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी की हड़ताल के दिन असामाजिक तत्वों द्वारा की गई इस हरकत से मरीज व स्वास्थ्य कर्मी परेशान हुए। शिकायत के बाद बंडोल पुलिस ने 2 लोगों को पकड़ा भी था। वहीं स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि 2 साल पहले भी यहां कुछ शराबी रात के समय अस्पताल के अंदर घुस कर यहां के पलंग में लेट गए थे। आए दिन तत्वों की इन गतिविधियों से मरीज व स्वास्थ्य कर्मी भयभीत नजर आते हैं। उन्होंने यहां शीघ्र ही दिन व रात के लिए एक एक सुरक्षाकर्मी सफाई कर्मी की भी मांग की है।

कई गांव से आते हैं मरीज – बंडोल अस्पताल में बंडोल समेत आसपास के गांव बिहिरिया, जमुनिया, गंगेरूआ, बंधा, बाकी, कुकलाहा, बीसावाड़ी, कलारबाकी, बलारपुर, थावरी, दिघोरी, बखारी, सागर, चंदौरी आदि लगभग 12-13 गांव के मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं। वही रात के समय सुरक्षा गार्ड रखे जाने की मांग कई बार की गई लेकिन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

जनरेटर बंद – भर्ती मरीजों ने बताया कि गर्मी के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत व्यवधान आए दिन बना रहता है। आंधी-तूफान तेज बारिश के चलते भी इन इलाकों में आए दिन बिजली बाधित रहती है। ऐसे में अस्पताल में अंधेरा छा जाता है। तथा उपचार के दौरान व डिलीवरी के दौरान मोबाइल व टॉर्च की रोशनी से उपचार किया जाता है। वही ग्रामीणों ने बताया कि यहां लाइट गोल होने के बाद बिजली की व्यवस्था बनी रहे इसके लिए एक बड़ा सा जनरेटर भी लगा है लेकिन पिछले एक माह से जनरेटर बंद पड़े रहने के कारण यहां लाइट गोल होने पर अस्पताल में अंधेरा छा जाता है।जिससे सभी को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

डॉक्टर की मांग – अस्पताल में उपचार कराने जहां बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं वही गर्भवती महिलाएं भी बड़ी संख्या में पहुंचती हैं। यहां औसत 1 माह में लगभग 40-45 डिलीवरी केस आते हैं। ऐसे में यहां सुरक्षाकर्मी सफाई कर्मी व अन्य स्वास्थ्य कर्मी के साथ महिला डॉक्टर की कमी भी कई वर्षों से बनी हुई है। ग्रामीणों व मरीजों ने शासन प्रशासन से शीघ्र ही यहां जो कमी है उसकी पूर्ति किए जाने की मांग की है।

इनका कहना है

महिला चिकित्सक यहां शुरू से नहीं है। यहां 1-2 मेडिकल ऑफिसर की पोस्ट तो रहती है। साथ ही सुरक्षा गार्ड रखे जाने के लिए पत्र भी लिखा गया है। जनरेटर लगा है पर उसमें कुछ तकनीकी खराबी है जिसके चलते बंद है। डॉ. संदीप सनोडिया बंडोल

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