धर्म मध्य प्रदेश सिवनी

वृद्धावस्था तो आना ही है, उससे पहले हर पल भगवान नारायण का ध्यान करते रहे : ब्रह्मचारी निर्विकल्प स्वरूप

सिवनी। नगर के बारापत्थर जिला चिकित्सालय के सामने स्थित स्मृति लान में चल रही श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा के तीसरे दिन सोमवार को कथावाचक द्विपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी निर्विकल्प स्वरूप महाराज ने वृद्धा अवस्था में पहुंचने से पहले ही जब शरीर स्वस्थ रहे तब से ही भगवान की भक्ति करते रहने की बात श्रद्धालुजनों से कही। मंगलवार को कृष्ण जन्म की कथा के साथ ही कृष्ण जन्म उत्सव मनाया जाएगा।

निर्विकल्प स्वरूप महाराज ने आधुनिक दौर में लोगों के पास समय बहुत है, लेकिन फिर भी वे समय न होने का बहाना बहाते हैं और मंदिर में दर्शन करने जाने अथवा सत्संग सुनने के लिए समय नहीं निकाल पाते। कहते हैं कि बुढ़ापे में जब समय होगा, तब भक्ति करेंगे। अरे, जब चलने-फिरने की उम्र है, तब भक्ति नहीं हो रही है तो बुढ़ापे में जब हाथ-पैर कांपने लगेंगे, तब क्या भक्ति कर पाओगे? भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती है। हमें प्रहलाद और ध्रुव से भक्ति करने का गुण सीखना चाहिए। मात्र पांच साल की उम्र में कठोर तपस्या करके दोनों भक्तों ने भगवान की गोद में जगह पाई।

कथा में बताया कि प्रहलाद और ध्रुव का भगवान के प्रति इतना समर्पण था कि जीवन में आने वाले कष्ट और कठिनाई भी उन्हें भक्ति मार्ग से डिगा नहीं पाई। आखिर में भक्त का समर्पण देख भगवान को भी उन पर कृपा करनी पड़ी। भगवान ने जहां प्रहलाद की रक्षा की। वहीं ध्रुव को परम पद देकर अमर कर दिया। हमें भी यदि भगवान को पाना है तो भक्त ध्रुव और प्रहलाद जैसा समर्पणभाव रखना होगा।

उन्होंने कहा कि भागवत श्रीहरि विष्णु का श्रीविग्रह है, अपने जीवन में भागवत कथा नहीं सुनने वाला आत्मघाती है। मूर्खों से दोस्ती नहीं करना चाहिए। इन से हमेशा दूर रहना चाहिए, दोस्ती करना है तो श्रीकृष्ण के समान से ही होना चाहिए जो अपने बाल्यकाल जीवन के गरीब ब्राह्मण सुदामा की दीन दशा को भलीभांति जान करके अपने समान संपूर्ण बनाया।

कथा आयोजक श्रीमती सरिता-देवी प्रसाद तिवारी ने बताया कि कथा जिला अस्पताल सिवनी के सामने स्मृति लॉन में जारी है। कथा श्रवण करने जिले समेत आसपास के अन्य जिलों से भी श्रद्धालुजन पहुंच रहे हैं।

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