सिवनी। भारतीय संस्कृति धरती के कण-कण में भगवान का दर्शन करवाने वाली है। उक्त आशय के प्रेरक प्रवचन शनिवार को प्रातः स्मरणीय द्वि पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य की प्राकट्य स्थली गुरुधाम दिघोरी में, महाशिवरात्रि महोत्सव धर्मसभा मैं, पूज्य पाद द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती जी महाराज के श्री मुख से प्रवाहित हुए।
पूज्य शंकराचार्य जी ने कहा कि, भारतीय संस्कृति में परमात्मा की प्राप्ति हेतु अनेक साधन और उपाय बताए गए हैं! उनमें से एक है भगवान शिव की आराधना !
आप श्री ने कहा कि वेदत्रयी सांख्य ,शक्ति ,ज्ञान एवं योग ,आदि साधनों के द्वारा परमात्मा की प्राप्ति होती है।!बिना महादेव की आराधना के जीव का कल्याण संभव नहीं है। पूज्य पाद ब्रह्मलीन शंकराचार्य महाराज श्री ने अपनी जन्म स्थली दिघोरी में गुरु रत्नेश्वर के रुप में महादेव की स्थापना किया है।। तीन बार महादेव महादेव का उच्चारण करने मात्र से भगवान शिवजी जीव के ऋणी हो जाते हैं! अपने मन को शिव जी के चरणों में समर्पित करना शिवपासना का सरलतम उपाय है।
कामना पूर्ति ना होने पर मनुष्य दुखी होता है! और अपनी इच्छा पूर्ति के लिए अनेक प्रकार के पाप करता है! काम की इच्छा को नष्ट करने के लिए शिवजी की आराधना करना चाहिए! कामना के साथ मृत्यु के कारण मनुष्य का पुनर्जन्म होता है! इस आवागमन के चक्र से मुक्त होने के लिए शिव की उपासना करना चाहिए! संतों का सत्संग भी संसार के दु:ख चक्र से मुक्त होने का उपाय है! संत महात्मा भगवान की सचल मूर्ति हैं, जो विचरण करके जीवो को ज्ञान का मार्गदर्शन करते हैं!
अपने प्रवचन में शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि, मन में उठने वाले यक्ष प्रश्न- मैं कौन हूं? मैं कहां से आया हूं? मुझे मनुष्य का शरीर क्यों प्राप्त हुआ? और मेरा लक्ष्य क्या है ?-इनका ज्ञान कराने के लिए ही गुरु की आवश्यकता है!
आप श्री ने कहा कि, सनातन धर्म अनादि है, हम अध्यात्मवादी हैं, भौतिकवादी नहीं! हमारी भारतीय संस्कृति कण-कण में भगवान का दर्शन कराने वाली है! आराधना परंपरा की रक्षा करना ही भारतीय संस्कृति की रक्षा करना है! हमारे पूर्वजों के दिखाए मार्ग का अनुसरण करना ही संस्कृति की रक्षा करना है! स्व स्वरूप का अनुसंधान कर आनंद प्राप्त कराने वाले, हमारे गुरुदेव श्री स्वरूपानंद जी थे!
धर्म पालन हर कोई कर सकता है ,धर्म पालन के लिए कहीं कोई निषेध भी नहीं है !रामायण को जो नहीं मानते वह भी भारत में निवास करते हैं! हमारे सनातन धर्म को नष्ट भ्रष्ट करने के लिए अनेक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र रचे जा रहे हैं !इसलिए समस्त सनातन धर्मावलंबियों को दलगत राजनीति से परे रहकर इनकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए! महाशिवरात्रि पर्व धर्म सभा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु सोता गणों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

— — — — — — — — — — — — — — — — — — — — — ताजासमाचार ग्रुप से जुड़ने लिंक मांग सकते हैं। वाट्सएफ नम्बर 94 2462 9494 से । या न्यूज के नीचे जाए और दिए गए वाट्सएफ जवाइन निर्देश बॉक्स में दो बार क्लिक कर ग्रुप में ज्वाइन हो सकते हैं। संतोष दुबे, सिवनी।