सिवनी। भगवान की भक्ति बिना किसी स्वार्थ के करनी चाहिए उक्त आशय की बात कथावाचक हितेंद्र शास्त्री ने बुधवार को नगर सीमा से लगे लूघरवाड़ा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में श्रद्धालु जनों से कहीं।
उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को धर्म का ज्ञान बचपन में दिया जाता है। वह जीवन भर उसका ही स्मरण करता है। ऐसे में बच्चों को धर्म व आध्यात्म का ज्ञान दिया जाना चाहिए। माता-पिता की सेवा व प्रेम के साथ समाज में रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है। अच्छे संस्कारों के कारण ही ध्रुवजी को पांच वर्ष की आयु में भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ। इसके साथ ही उन्हें 36 हजार वर्ष तक राज्य भोगने का वरदान प्राप्त हुआ था। ऐसी कई मिसालें हैं जिससे सीख लेने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हमारी भक्ति में मीरा जैसा भाव होना चाहिए। हमें सत्संग से जो सद्ज्ञान मिलता है, उसे आचरण में उतारें। उन्होंने कहा याद रखें, जीवन में भौतिकता कितनी भी आ जाये, नास्तिकता कभी न आ पाये।
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