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श्रावणी पूर्णिमा : छपारा-लखनवाड़ा वेनगंगा नदी तट पर हुई विशेष पूजा,

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सिवनी/छपारा। श्रावणी पूर्णिमा पर दिनांक 11 अगस्त 2022 को यज्ञोपवित परिवर्तन/यजुर्वेदी उपाकर्म अन्नपूर्णे श्वेरी संस्कृत वेद विद्यालय पिठेरा लखनादौन के विप्र कुमार श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर बैनगंगा तट छपारा में सामूहिक पूजन किया।

लक्ष्मी नारायण मंदिर में विश्व कल्याण एवम् सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए सामूहिक पाठ किया। इस अवसर पर मन्दिर समिति के द्वारा सभी ब्राम्हण बटुकों को स्वलपाहर कराया गया। मन्दिर के मुख्य ट्रस्टी शिवकुमार शिवहरे द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया। मन्दिर समिति से राजेन्द्र तिवारी, सुनील दत्त पाठक, विनोद सोनी, अशोक शिवहरे, विनोद शिवहरे, देवी राजपूत, डॉ चांग, गुलाब चंद्रवंशी, मुरली धर उपाध्याय आदि उपस्थित थे।

लखनवाड़ा ब्राह्मणों ने वैदिक विधि से मनाया श्रावणी उत्सव

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विद्वान आचार्य डॉ.सनत कुमार उपाध्याय के सानिध्य में वैनगंगा तट लखनवाडा घाट पर आयोजित श्री श्रावणी (उपाकर्म) उत्सव में वैदिक विधि से हेमादिप्राक्त, प्रायश्चित संकल्प, सूर्याराधन, दसविधि स्नान, तर्पण, सूर्योपस्थान, यज्ञोपवीत धारण, प्राणायाम, अग्निहोत्र व ऋषि पूजन किया गया। इस कार्यक्रम में सिवनी और छिंदवाड़ा जिले के ब्राह्मण बड़ी संख्या में उपस्थित रहेl विद्वान आचार्य पं.सनत कुमार उपाध्याय जी ने बताया कि,
श्रावणी द्विज जाति का अधिकार व कर्तव्य है, वेदपाठी ब्राह्मणों को किसी भी स्थिति में इसे भूलना नहीं चाहिए।
कार्यक्रम के ह् संयोजक पंडित सोनू महाराज ने बताया कि ,इस आयोजन में सिवनी और छिंदवाड़ा जिले के कर्मकांडी ब्राह्मणों को आमंत्रित किया गया हैl
श्रावणी उपाकर्म दसविधि स्नान कर मनाया जाता है l इसमें पितरों तथा आत्मकल्याण के लिए वैदिक मंत्रों के साथ हवन यज्ञ में आहुतियां दी जाती है। अतः पितृ-तर्पण और ऋषि-पूजन या ऋषि तर्पण भी किया गया। जिससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है जीवन के हर संकट समाप्त हो जाते हैं।श्रावणी उपाकर्म उत्सव में वैदिक विधि से हेमादिप्राक्त, प्रायश्चित संकल्प, सूर्याराधन, दसविधि स्नान, तर्पण, सूर्योपस्थान, यज्ञोपवीत धारण, प्राणायाम, अग्निहोत्र व ऋषि पूजन किया गया।
आचार्य डॉ सनत कुमार उपाध्याय ने श्रावणी उत्सव का महत्व बताते हुए कहा कि भारत भूमि भगवान के विभिन्न अवतारों एवं तपोनिष्ठ ऋषि मुनियों की साधना तप और भक्ति से पावन है
पृथ्वी पर मानव जीवन के अस्तित्व को ह् बचाने का एकमात्र उपाय भारतीय संस्कृति और जीवन शैली, का अनुकरण ही है, इसकी रक्षा एवं संवर्धन करना हम सभी का परम कर्तव्य है lवर्ष पर्यंत जितने भी पाप कर्म या शास्त्र विरुद्ध कृत्य हमसे जाने अनजाने हो जाते हैं उनके प्रायश्चित का यह महान पर्व है,l वर्तमान परिवेश में हम इसे सिर्फ रक्षाबंधन त्योहार के रूप में जानते और मानते हैंl आज का दिन विद्या आरंभ का दिन भी माना जाता है lभारत सरकार द्वारा आज के दिन को संस्कृत दिवस घोषित किया गया हैl
कार्यक्रम में उपस्थित ब्राह्मणों ने द्वि पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के छाया चित्र के समक्ष विधि विधान से पूजन अर्चन वंदन एवं हवन किया lआचार्य डॉ सनत कुमार उपाध्याय ने महाराज श्री की ओर से, समस्त उपस्थित ब्राह्मणों को आशीर्वाद दिया एवं रक्षा सूत्र बांधा lप्रधानाचार्य ने कार्यक्रम के संयोजक सोनू महाराज को ,उपस्थित ब्राह्मणों की ओर से साधुवाद दिया प्रातः 8:00 बजे से 11:00 बजे तक चले इस का कार्यक्रम का समापन महाप्रसाद वितरण के साथ हुआl इस कार्यक्रम में सिवनी और छिंदवाड़ा के विद्वान वेद पाठी ब्राह्मणों के साथ ही जिले के विद्वान संस्कृत आचार्य पंडित जानकी वल्लभ मिश्र ,जिला ब्राह्मण समाज अध्यक्ष पं ओमप्रकाश तिवारी, नगर अध्यक्ष पंडित अशोक तिवारी, पंडित श्याम सुंदर पांडे, की उपस्थिति उल्लेखनीय रही l
शुभेच्छु 🙏
पं. क्षितिजक्षतिवारी

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