धर्म सिवनी

कलयुग में मनुष्य को वेश से नहीं मन से साधु होना जरूरी है : कमला प्रसाद अग्निहोत्री

सिवनी/किन्दरई। विकासखंड घंसौर के अंतर्गत ग्राम किन्दरई में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। शनिवार को षष्टम दिन में कथावाचक पंडित आचार्य कमला प्रसाद अग्निहोत्री ने मुखारविंद कथा का वर्णन मैं कृष्ण रुक्मणी विवाह का वर्णन किया गया। कथा का लुफ्त उठाने के लिए आए हुए माताओं बहनों भाइयों ने रुक्मणी कृष्ण के विवाह पर जमकर नाचे। बारातियों द्वारा आतिशबाजी की गई। उन्होंने कहा कि कलयुग में मनुष्य को वेश से नहीं मन से साधु होना जरूरी है। श्रीमदभागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिसका श्रवण करने मात्र से ही मनुष्य का उद्घार हो जाता है।

इस कलयुग में भागवत कथा ही व्यक्ति को मोक्ष का सबसे सरल उपाय है। यह ग्रंथ मात्र नहीं बल्कि बल्कि बांके बिहारी नंदलाल की साक्षात्‌ वांग्मय प्रतिमूर्ति है। इस ज्ञान गंगा के श्रवण रूपी डुबकी लगाने से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। जब भी परमात्मा का गुणानुवाद इस पृथ्वी पर होता है या परमात्मा स्वयं आकर यहां पर तरह-तरह की लीलाएं करते हैं तो देवतागण भी पृथ्वी पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं। भागवत पुराण कथा को श्रवण करने वाले भक्त निश्चित रूप से मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं। जिस प्रकार राजा परीक्षित श्राप से मुक्त हो गए, अनेकानेक राक्षस और पापी भी उस परमात्मा की कृपा से मुक्ति पा गए ऐसे सभी पुराणों और ग्रंथों में महापुराण की संज्ञा पाने वाला श्रीमद्भागवत पुराण वह पुराण है जो केवल पुराण नहीं भगवान की साक्षात वांग्मय प्रतिमूर्ति है । जिसकी कथाओं का श्रवण करने के लिए इतने बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं। भक्तों के मन की वांछित कल्पनाओं से परे हटकर पुण्य फल प्रदान करने वाला यह महात्म्य होता है। वास्तव में श्रोता ही भागवत कथा के प्राण होते हैं। 

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