सिवनी/(भोपाल से)। नगरीय निकाय चुनाव को लेकर नए अध्यादेश को गुरुवार को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है।अब नगर निगम के महापौर का चुनाव सीधे जनता से कराया जाएगा। जबकि नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष पार्षद अपने ही बीच से चुनेंगे। इसके लिए मध्यप्रदेश नगरपालिका विधि (संशोधन) अध्यादेश 2022 जारी करने की अनुमति राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने दे दी। देर शाम राजपत्र में इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई और इसके साथ ही अध्यादेश प्रभावी हो गया।
वही नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष को वापस बुलाने के लिए मतदान कराए जाने की व्यवस्था नहीं रहेगी। इन दोनों पदों के लिए अप्रत्यक्ष प्रणाली ही लागू रहेगी। पार्षद अपने बीच से अध्यक्ष का चुनाव करेंगे यदि तीन चौथाई पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं तो अपने बीच से ही दूसरे पार्षद को अध्यक्ष पद के लिए चुनेंगे।
वहीं मध्यप्रदेश में महापौर का चुनाव सीधे मतदाताओं से कराए जाने की व्यवस्था लागू करने से पार्षदों का महापौर को वापस बुलाने का अधिकार (राइट टू रिकॉल) भी बहाल होगा। यदि तीन चौथाई पार्षद महापौर के प्रति अविश्वास प्रकट करते हुए हस्ताक्षर युक्त आवेदन देते हैं तो सरकार की सिफारिश पर राज्य निर्वाचन आयोग खाली कुर्सी भरी कुर्सी का चुनाव कराएगा। इसमें जनता मतदान कर तय करेगी कि महापौर पद पर बना रहेगा या नहीं।
महापौर को वापस बुलाने के लिए कम से कम 2 साल का कार्यकाल पूरा होना जरूरी होगा और उसका कार्यकाल 6 माह से रहने से पहले ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसके लिए कलेक्टर को प्रस्ताव देना होगा।कलेक्टर इसका परीक्षण करने के बाद शासन को सिफारिश करेगा। यदि संबंधित निकाय के मतदाता खाली कुर्सी के पक्ष में मतदान करते हैं तो महापौर को पद छोड़ना पड़ेगा और यदि भरी कुर्सी के पक्ष में मतदान होता है तो वह पद पर बना रहेगा। मध्यप्रदेश में 99 नगरपालिका व 16 नगर निगम हैं।
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