जबलपुर। बहन के गर्भपात होने और उसकी मृत्यु पर भाई द्वारा पड़ोसी व उनके परिजनों को बनाए गए आरोपित मामले में जबलपुर न्यायालय ने गलत साक्षय, झूठे बयान व बिना सबूत के मद्देनजर बनाए गए सभी आरोपित को दोष मुक्त कर दिया गया है।
घटना के संक्षेप विवरण में कुंडम थाना में रघुवीर सिंह ने 23 अप्रैल 2016 को रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि उसकी बहन को 8 माह का गर्भ है। पड़ोसी आरोपित सुरेंद्र सिंह ने बहन से अवैध संबंध स्थापित कर उसे गर्भवती बनाया। गर्भावस्था में बहन को सुरेंद्र सिंह के घर छोड़ दिया गया। 22 अप्रैल 2016 को बहन को पेट में दर्द हुआ जहां चरण सिंह और उसकी पत्नी माया उसे अस्पताल ले गए जहां उसकी बीच रास्ते में ही मौत हो गई। सूचना पर पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया।
पुलिस पूछताछ में सुरेंद्र सिंह ने बताया कि अवैध संबंध के कारण रघुवीर की बहन गर्भवती हो गई थी। सुरेंद्र सिंह की मां विप्टाबाई और फूलबाई गर्भपात कराने डॉक्टर के पास ले गए थे। इस प्रक्रिया के दौरान निचले गर्भाशय के टूटने के कारण अभियोक्ता की मृत्यु हो गई। शव का पोस्टमार्टम कराया गया व गवाहों के बयान दर्ज किए गए। इस मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह तुलसा यादव ने कहा कि वह टिकरिया गांव में आशा कार्यकर्ता है, सखी बाई दाई का काम करती थी। जबकि उन्हें आशा कार्यकर्ता के रूप में नियुक्त किया गया था। अस्पताल में सखी बाई के दिए गए उपकरण उनके वापस ले लिए गए थे। वही बीएमओ कुंडम ने बताया कि सखी भाई अवैध रूप से गर्भपात में शामिल थी। तुलसा यादव ने मामले से संबंधित कुछ भी नहीं कहा। सखी यादव की हरकत आरोपी व्यक्तियों के किसी भी कृत्य के बारे में रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है। यह बिना सबूत का मामला है और इन परिस्थितियों में आरोपी व्यक्तियों को किसी भी अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
माननीय सुनील कुमार जैन विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति जबलपुर ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद व अभियोजन द्वारा पेश किए गए सभी साक्ष्यों के आलोक में इस न्यायालय के सुविचार इस दृष्टिकोण में ऐसा कोई सबूत नहीं है कि दोनों में से किसी के भी आरोपी व्यक्तियों ने कोई अपराध किया हो। इसलिए आरोपी सुरेंद्र टेकाम पुत्र चरण सिंह को आईपीसी की धारा 376 (2) (एन) के अपराध से बरी कर दिया गया है। साथ ही आरोपी सखीबाई उर्फ तुलसा यादव, मायाबाई, विप्टाबाई और मैकीबाई की आईपीसी की धारा 34 के साथ धारा 314, 315, 304 के तहत अपराध से बरी कर दिया गया है व आरोपी सखीबाई को भी धारा 5(2), 5 (5 (2) के अपराध से बरी कर दिया गया है। आरोपीगणों की ओर से अधिवक्ता अनिल द्विवेदी एवं हदेश त्रिपाठी ने पक्ष रखा था।
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