सिवनी। किसानों से खरीदा गया बेशकीमती करोड़ों रुपये का धान भंडारित करने जिले के गोदाम व ओपन कैप कम पड़ रहे हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत मप्र वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के तकनीकी विभाग द्वारा मैदान पर मिट्टी की र्ईंटों से चबूतरा (स्टेक) तैयार करवाकर इसमें लाखों क्विंटल धान का भंडारण किया जा रहा हैं। अधिकारियों का दावा है कि भंडारित धान का उठाव एक माह में कर लिया जाएगा। लेकिन जिले में साल 2019-20 में भंडारित करीब 8 लाख क्विंटल धान का तय समय में उठाव नहीं होने से सड़ कर खराब और बर्बाद हो चुका हैं। ऐसे में मिट्टी की ईंटों पर भंडारित धान का उठाव एक माह में हो जाएगा, यह बात किसी के गले नहीं उतर रही हैं। जानकारों का कहना है कि, समर्थन मूल्य पर उपार्जित सरकारी धान व गेहूं के निस्तारण (उपयोग) की विस्तृत योजना नहीं होने के कारण इस तरह की स्थिति हर साल जिले में निर्मित हो रही हैं। इस साल लगभग 48 लाख क्विंटल धान का उपार्जन में किया गया है। वहीं साल पिछले साल 2020-21 में खरीदे गए 34 लाख क्विंटल धान में से करीब 14 लाख क्विंटल धान भंडारित है, जिसका मिलिंग कर चावल तैयार होना हैं। धान मिलिंग की अंतिम तिथि 28 फरवरी निर्धारित की गई है।
हालात हैं कि, जनवरी माह में उपार्जन कार्य पूरा हो चुका हैं। 15 फरवरी बीत जाने के बाद भी भंडारण का काम पूरा नहीं हो सका है। जिले के सभी वेयर हाउस गोदाम व अस्थाई ओपन कैप धान के भंडारण से भर चुके हैं। ऐसे में उपार्जित धान को रखने के लिए ओपन कैप के पास मौजूद खली जगह व मैदान पर ईंटों का चबूतरा तैयार कर धान का भंडारण किया जा रहा है। भंडारण स्थल पर बड़ी संख्या में समितियों से धान लेकर पहुंचे ट्रक चबूतरा के तैयार होने का इंतजार रहे हैं। ऐसा ही नजर बुधवार को कारीरात ओपन कैप में दिखाई दिया। यहां पर 42 से ज्यादा चबूतरों का निर्माण ईंटों से कराया जा चुका हैं। मौके पर मौजूद मप्र वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन तकनीकी विभाग जबलपुर के इंजीनियर राकेश कुमार वर्मा ने नईदुनिया को बताया कि, ट्रक जैसे जैसे धान लेकर पहुंचते जा रहे हैं, वैसे वैसे चबूतरों की संख्या बढ़ाई जा रही हैं। एक चबूतरे के ऊपर तिरपाल बिछाकर करीब 110 से 120 मीट्रिक (1100 से 1200 क्विंटल) धान का भंडारण किया जा रहा है।
जिले में 5 लाख क्विंटल से ज्यादा धान का भंडारण ईंट के कच्चे चबूतरा में किया जा रहा हैं। इसके अलावा कंक्रीट से बने अस्थाई ओपन कैप में लाखों क्विंटल धान का भंडारण कराया जा चुका है। जानकारी के मुताबिक फिलहाल गरठिया ओपन कैप में 10 हजार मीट्रिक के 80 चबूतरे (स्टेक) तैयार किए जा चुका हैं। देवरी नरेला में 13 हजार मीट्रिक, नरेला-1 में 7 हजार मीट्रिक, कारीरात में 10 हजार मीट्रिक, लखनादौन के पिपरिया जोबा में 7 हजार मीट्रिक, केवलारी मंडी में 7 हजार मीट्रिक, पलारी मंडी में 7 हजार मीट्रिक, सिवनी मंडी में 25 हजार मीट्रिक क्षमता के चबूतरों का निर्माण मिट्टी की ईटों से कराया जा रहा है।
जबलपुर मप्र वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के तकनीकी विभाग से लघु निविदा पर बालाघाट सहित अन्य जिलों की अनेक एजेंसियों को ईंट के चबूतरों को तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। इस पर कितनी राशि खर्च की जा रही हैं, इसकी जानकारी निर्माण करवा रहे सब इंजीनियर के पास भी नहीं हैं। मैदान में लेआउट देकर ईंटों को दो लेयर में जमाया जा रहा है। ताकि भंडारित धान एक माह तक सुरक्षित रखा रहे। इंजीनियर वर्मा ने बताया कि, करीब 1100 से 1200 क्विंटल के धान का भंडारण के लिए चबूतरे (स्टेक) को तैयार करने में 6 हजार से ज्यादा ईंट का उपयोग किया जा रहा है।
इस मामले में विख्यात हिंडोलिया जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम सिवनी ने बताया कि साल 2019-20 में खराब हुए 8 लाख क्विंटल धान को नीलाम करने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। ईंट के चबूतरों में भंडारित धान को एक माह में उठाने संबंधी योजना फिलहाल हमारे पास नहीं है। चबूतरों में भंडारित धान मिलिंग का कार्य प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले कराया जाएगा।
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