सिवनी। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार सिवनी, तहसील मुख्यालय लखनादौन एवं घंसौर में 11 सितम्बर 21 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है।
नेशनल लोक अदालत के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण हेतु जिला मुख्यालय सिवनी में 14 खण्डपीठों, तहसील मुख्यालय लखनादौन में 07 खण्डपीठों एवं तहसील मुख्यालय घंसौर में 01 खण्डपीठ, इस प्रकार कुल 22 खण्डपीठों का गठन किया गया है। लोक अदालत के माध्यम से प्रकरण का निराकरण होने पर कोर्ट फीस की पूर्ण वापसी हो जाती है। न्यायालय प्रक्रिया में लगने वाले समय एवं धन की बचत तथा आपसी कटुता का अंत हो जाता है।
उक्त नेशनल लोक अदालत में निम्न श्रेणी के प्रीलिटिगेशन एवं न्यायालय में लंबित प्रकरणों को निराकरण हेतु रखा जायेगा।
प्री-लीटिगेशन प्रकरण- चैक अनादरण के मामले, बैंक/ऋण वसूली के मामले, श्रम विवाद के मामले, बिजली एवं पानी बिल के राजीनामा योग्य विवाद के मामले, भरण-पोषण के मामले, अन्य (आपराधिक राजीनामा योग्य, वैवाहिक एवं अन्य सिविल विवाद) न्यायालयों में लंबित प्रकरण, आपराधिक राजीनामा योग्य मामले, चैक अनादरण के मामले, बैंक/ऋण वसूली के मामले, मोटरयान दुर्घटना के दावे, श्रम विवाद के मामले, बिजली एवं पानी बिल के राजीनामा योग्य विवाद के मामले, वैवाहिक विवाद (विवाह विच्छेद को छोड़कर) भूमि अधिग्रहण के मामले, सेवा संबंधी प्रकरण वेतन, भत्ते सेवानिवृति लाभ के अंतर्गत, राजस्व मामले (केवल जिला न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में लंबित प्रकरण) अन्य सिविल प्रकरण (किराया, सुखाधिकार, निशेद्याज्ञा, विनिर्दिष्ट अनुतोश के मामले आदि) प्रीलिटिगेशन प्रकरणों के अंतर्गत नगरपालिका /नगरपरिषद, विद्युत विभाग, बी.एस.एन.एल. और बैंकों के वसूली संबंधी प्रकरणों के निराकरण हेतु शासन द्वारा इन विभागों के माध्यम से निम्नानुसार छूट दी जा रही है-
विद्युत विभाग-विद्युत अधिनियम- 2003 की धारा 126, 135 के अंतर्गत लंबित प्रकरणों के निराकरण पर निम्नदाब श्रेणी के समस्त घरेलू समस्त कृषि, 5 किलोवाट भार के गैर घरेलू, 10 अश्व शक्ति भार तक के औद्योगिक उपभोक्ताओं को निम्नानुसार छूट दी जा रही है-
प्रीलिटिगेशन स्तर पर कंपनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राषि पर 30 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान में चूक किए जाने पर निर्धारण आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने के पश्चात प्रत्येक छःमाही चक्रवृद्धि दर अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर 100 प्रतिषत की छूट की जावेगी।
लिटिगेशन स्तर पर- कंपनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राषि पर 20 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान में चूक किए जाने पर निर्धारण आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने के पश्चात प्रत्येक छःमाही चक्रवृद्धि दर अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट की जावेगी।
आवेदक को निर्धारित छूट के उपरांत शेष देय आंकलित सिविल दायित्व एवं ब्याज की राषि का एकमुश्त भुगतान करना होगा। उपभोक्ता/उपभोगकर्ता की विचाराधीन प्रकरण वाले परिसर एवं परिसरों पर उसके नाम पर किसी अन्य संयोजन/संयोजनों के विरूद्ध विद्युत देयकों की बकाया राषि का पूर्ण भुगतान भी करना होगा। आवेदक के नाम पर कोई विधिक संयोजन न होने की स्थिति में छूट का लाभ प्राप्त करने हेतु आवेदक द्वारा विधिक संयोजन प्राप्त करना एवं पूर्व में विच्छेदित संयोजनों के विरूद्ध बकाया राषि (यदि कोई हो) का पूर्ण भुगतान किया जाना अनिवार्य होगा। नेशनल लोक अदालत में छूट आवेदक द्वारा विद्युत चोरी/अनाधिकृत उपयोग पहली बार किये जाने की स्थिति में ही दी जावेगी। विद्युत चोरी/अनाधिकृत उपयोग के प्रकरणों में पूर्व की लोक अदालत/अदालतों में छूट प्राप्त किए उपभोक्ता/उपयोगकर्ता छूट के पात्र नहीं होगें तथा सामान्य विद्युत देयकों के विरूद्ध बकाया 11 सितम्बर 2021 के लिए ही लागू रहेगी ।
नगरपालिका/ नगरपरिषद-नगरपालिका/ नगरपरिषद् द्वारा सम्पत्तिकर एवं जलकर के प्रकरणों में अधिभार (सरचार्ज) में नियमानुसार छूट दी जा रही है। म.प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 162 व 163 तथा म.प्र. नगर पालिका निगम अधिनियम, 1961 की धारा 130, 131 तथा 132 में निहित शक्तियों को उपयोग में लाते हुए राज्य शासन एतद् द्वारा सम्पत्तिकर अधिभार (सरचार्ज) जल उपभोक्ता प्रभार (सरचार्ज) में निम्न शर्तों के साथ निम्नानुसार छूट प्रदान की गई हैं:-
सम्पतिकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि रूपये 50,000/- (रूपये पचास हजार) तक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 100 प्रतिशत तक की छूट, जलकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि रूपये 50,000/-(रूपये पचास हजार) से अधिक तथा रूपये 1,00,000/-(रूपये एक लाख) तक बकाया होने पर 50 प्रतिशत तक की छूट, संपत्ति कर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि रूपये 1,00,000/- (रूपये एक लाख) से अधिक बकाया होने पर अधिभार में 25 प्रतिशत तक की छूट, जल उपभोक्ता प्रभार/जलकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राषि रूपये 10,000/- (रूपये दस हजार ) तक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 25 प्रतिशित तक की छूट, जल उपभोक्ता प्रभार/जलकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि रूपये 10,000/-(रूपये दस हजार ) से अधिक तथा 50,000/- (रूपये पचास हजार) तक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 75 प्रतिषत तक की छूट, जल उपभोक्ता प्रभार/जलकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि रूपये 50,000/- (रूपये पचास हजार ) तक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 50 प्रतिशत तक की छूट प्रदान की जायेगी।
नेशनल लोक अदालत में मोटरयान अधिनियम, भारतीय दण्ड संहिता के अधीन या धारा-29 पुलिस अधिनियम या कोविड प्रोटोकॉल के उल्लघंन से संबंधित ऐसे प्रकरण जिनका निराकरण पक्षकार द्वारा केवल अर्थदण्ड जमा करने से हो, का निराकरण किया जायेगा। नेशनल लोक अदालत में प्रकरण का आपसी राजीनामें द्वारा निराकरण करवाये जाने पर पक्षकारों द्वारा न्यायालयों में जमा की गई न्याय शुल्क को वापस कर दिया जाएगा और प्रकरण अंतिम रूप से निराकृत माना जाएगा, जिसकी कोई अपील, रिवीजन नहीं होगी।जिन पक्षकारों का राजीनामा होगा उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से एक फलदार पौधा वितरित किया जाएगा।
’’न किसी की जीत न किसी की हार, यही है लोक अदालत का सार’’