सिवनी। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत सुधार अधिनियम 2021 के विरोध एवं विद्युत अधिकारी कर्मचारियों की समस्याओं निराकरण के संबंध में आंदोलन की राह में है कर्मचारी।
मध्य प्रदेश विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संयोजक कुलदीप सिंह गुर्जर, मध्य प्रदेश विद्युत कर्मचारी महासंघ प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार पांडे,
मध्य प्रदेश विद्युत मप आ सं महासचिव जीके वैष्णव, मध्य प्रदेश विद्युत क सं फेडरेशन महामंत्री बीडी गौतम, मप्र तकनीकी क संघ अध्यक्ष शंभूनाथ सिंह, मध्य प्रदेश बाह्म स्त्रोत वि कर्मचारी अध्यक्ष शिवनारायण राजपूत, मध्य प्रदेश आरक्षित वर्ग अ. क संघ महामंत्री मुकेश मेहना, विद्युत अजाक्स फे. मप्र महासचिव नरेंद्र चौधरी, मप्र आरक्षित वर्ग अ. क. महासचिव एसके सचदेवा, जिला संयोजक नरेश मिश्रा ने बताया कि मध्य प्रदेश विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा विद्युत कंपनियों के 15 प्रमुख संगठनों का महागठबंधन है। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत अधिनियम 2021 जो कि विद्युत कंपनियों में निजीकरण को बढ़ावा देगा। उसका लगातार विरोध करता रहा है। साथ ही विद्युत कंपनियों में कार्यरत नियमित संविदा, आउटसोर्स कर्मियों की प्रमुख मांगों को लेकर निराकरण हेतु शासन प्रशासन से लगातार पत्राचार कर शांतिपूर्ण निराकरण हेतु प्रयासरत है। परंतु खेद का विषय है कि केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद भी मानसून सत्र में विद्युत सुधार अधिनियम 2021 लाना जन भावनाओं के विरुद्ध है एवं संपूर्ण प्रदेश के विद्युत कर्मी आक्रोशित है। अतः दिनांक 18 जुलाई 2021 को संयुक्त मोर्चे की कोर कमेटी की बैठक संपन्न हुई जिसमें समस्याओं के निराकरण न होने पर चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है एवं संयुक्तमोर्चा के द्वारा 21 जुलाई 2021 को संदर्भित पत्र के माध्यम से चरणबध्द आंदोलन (27/07/2021:- संपूर्ण प्रदेश में जिला/व्रत स्तर पर धरना प्रदर्शन एवं आमसभा 07 अगस्त 2021: संपूर्ण प्रदेश मे एक दिवसीय कार्य बहिष्कार 1-13/08/2021 से:- संपूर्ण प्रदेश मे अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार।) की सूचना प्रेषित की थी।
उसी क्रम में 27 जुलाई 2021 को प्रथम चरण में अधीक्षण अभियंता के माध्यम से यह ज्ञापन मुख्यमंत्री को समस्यायों के समाधान हेतु प्रेषित है।
विद्युत कर्मियों की प्रमुख मांगें इस प्रकार है – विद्युत कंपनियों का निजीकरण नहीं किया जावे। एकतरफा विद्युत सुधार अधिनियम 2021 संसद मे पारित नही किया जावे। संविदा कर्मियों का नियमितीकरण किया जावे। आऊटसोर्स कर्मचारियों का विद्युत कंपनियों में संविलियन किया जावे। 45वर्ष से अधिक तथा कम् शैक्षणिक योग्यता का हवाला देकर आऊटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाला जावे। कोरोना से मृत बिजली कर्मियों को कोरोना योद्धा घोषित कर परिवार को 50 लाख रु. की आर्थिक सहायता प्रदान करे तथा आश्रित को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जावे।
(अ) बिजली कर्मियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता दिया जावे। (ब) विगत वर्षों से रोकी गई वेतनवृद्धि अविलंब प्रदान की जावे।। (स) विद्युत कर्मियों की लंबित बेतन विसंगतियां दूर की जाएं।
मुख्यमंत्री से पुनः अनुरोध है कि विद्युत कर्मियों की उपरोक्त समस्यायों गंभीरता से संज्ञान में लिया जावे एवं सार्थक समाधान किया जावे। अन्यथा मोर्चे के निर्णय अनुसार चरण आन्दोलन जारी रहेगा।
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