सिवनी। शास्त्रों में कहा गया है भक्ति के नौ रूप होते हैं उन्हीं में से एक नगर के मंगलीपेठ साकार सिटी रोड सांई मंदिर के सामने निवासी राकेश सोनी कि भगवान के प्रति भक्ति की ऐसी लगन लगी है कि वह नगर के चार-पांच मंदिरों में प्रतिदिन जाकर अपने साथ लाए गए विभिन्न रंगों के फूलों से आकर्षक सजावट भगवान के सामने कुछ इस तरह से करते हैं जिसे देख अन्य भक्तजन भ्रमित हो जाते हैं कि यह फूलों से बनी कलाकारी है या फिर टाइल्स में ही कोई चित्र पहले से बना है।
राकेश सोनी ने बताया कि वह लगभग 20 सालों से विवेकानंद वार्ड स्थित माता दिवाला के मंदिर में पूजन करने जाते हैं। इसके साथ ही नगर के दुर्गा चौक स्थित दुर्गा मंदिर व शुक्रवारी चौक स्थित राम मंदिर सहित ऐसे अन्य देवी-देवताओं के मंदिर में दर्शन व पूजन के लिए प्रतिदिन सुबह जाते हैं। मंदिर के पुजारी से अनुमति लेने के बाद वे भगवान के सामने लगी टाइल्स में अपने साथ लाए हुए फूलों को प्रतिदिन अलग-अलग डिजाइन से सजाते हैं।
उन्होंने बताया कि बचपन में जब मैं मंदिर जाता था तो वहां जो पहले से जो फूल चढ़े होते थे उनसे कभी स्वास्तिक तो कभी ओम बना देता था। इसके बाद मंदिर पहुंचने वाले लोगों ने जब इसकी सराहना की तो कुछ और अलग करने का मन में इच्छा जागी।
प्रतिदिन खरीदते है फूल – भगवान के मंदिरों को फूलों से सजाने के लिए राकेश सोनी प्रतिदिन फूल खरीदने हैं। फूल वाला राजू फूल देता है जिसका महीन का खर्च लगभग 700 रुपए आता है। उन्होंने बताया कि फूल देने वाले भी कई बार रुपए कम लेते हुए कहते हैं कि मेरी तरफ से भी दान-पुण्य हो जाएगा।
परिवार वाले करते हैं मदद – मंदिर में फूलों की साज सज्जा करने के लिए घर के सदस्य भी मदद करते हैं। उन्होंने बताया की पत्नी रेखा सोनी, बेटा राहुल सोनी, बेटी राखी सोनी सभी इसमें मदद करते हैं। कई बार अलग-अलग रंगों के फूल को अलग रखा जाता है। वहीं उन्होंने बताया कि मेरे इस काम में मेरे पत्नी के भाई अनिल और गुड्डू सोनी साकार सिटी से फूल लाकर देते हैं।
आधा घंटे का लगता है समय – राकेश सोनी ने बताया कि फूल मिल जाने के बाद में उन फूलों को लेकर मंदिर जाता हूं और हर बार अलग-अलग डिजाइन से फूलों को सजाता हूँ। इसमें उन्हें लगभग आधा घंटा लग जाता है और इसके बाद में घर आकर घर में पूजा पाठ कर दिनभर जेवर बनाने का काम करते हूं। इसके साथ ही वे कुछ फूल और बेलपत्र जो बच जाते हैं वह मंदिरों में पहुंचे अन्य भक्तजनों में बांट देते हैं वहीं उन्होंने यह भी बताया कि पतझड़ के समय बेलपत्र मिलने में दिक्कत होती है लेकिन उनके एक मित्र जो काली मंदिर काली चौक के समीप रहते हैं पवन गुप्ता के घर में लगी बेलपत्र से पतझड़ के मौसम में भी उन्हें बेलपत्र मिल जाती है जिसके चलते साल भर उनके पास बेलपत्र उपलब्ध रहती है।
प्रतिदिन उठाते हैं 5 बजे – मंदिर जाने और फूल का संग्रह करने के लिए प्रतिदिन वे 5 बजे उठ जाते हैं यह दिनचर्या में शामिल हो गया है। उनका कहना है इससे जहां उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है वही भगवान के प्रति एक अटूट प्रेम भी बन गया है। भगवान की इस प्रकार से पूजा करने में उन्हें काफी आनंद मिलता है।
















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