मध्य प्रदेश शिक्षा सिवनी

छात्र हित से दूर हैं शिक्षक, हड़ताल के दिनों में कटे वेतन की मांग पर अड़े

सिवनी। 13 सितम्बर से 24 सितम्बर तक शिक्षक हड़ताल में थे। केवल अपने निजी स्वार्थ वेतन, पेंशन के लिए। जबकि वर्ष 2005 में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 500, 700 और 1000 रुपए में शिक्षाकर्मी वर्ग 3, 2, 1 में भर्ती किए थे। वहीं वर्तमान सरकार शिक्षकों को 40 हजार रुपए से 70 हजार वेतन रुपए दे रही है। फिर भी शिक्षकों द्वारा निजी स्वार्थ के लिए हड़ताल किया गया।

वही बीडीओ और डीडीओ पर शिक्षकों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है कि हड़ताल अवधि के दौरान के दिनों का भी वेतन दिया जाए। जबकि उक्त शिक्षक गरीब आदिवासी पिछड़े छात्र-छात्राओं के हित में कभी हड़ताल करते नजर नहीं आए। जैसे छात्र-छात्राओं को स्कूल में उचित भवन ना मिलना। कच्चे भवनों में पढ़ाई करने मजबूर होना। बारिश में सीपेश-नमी युक्त स्कूल के कमरों – कक्षा में बैठकर पढ़ना। छतों के टूटते लेंटर में जान हथेली में रखकर बच्चों का पढ़ना व विद्यार्थियों के लिए खेल मैदान, शौचालय, पानी की उचित व्यवस्था नहीं होने ऐसे अन्य संसाधन हैं। जिनकी काफी कमी है। इन कमी की पूर्ति के लिए शिक्षकों ने विद्यार्थियों के हित में कभी भी किसी प्रकार की मांग नहीं की और ना ही कभी एकजुट होकर इसके लिए आगे आए। शिक्षक सिर्फ अपने निजी स्वार्थ के लिए ही हड़ताल कर रहे हैं। जिससे सरकारी स्कूलों की साख गिर रही है। छात्रों को पढ़ाई का लाभ नहीं मिल रहा है। वहीं अभिभावकों का कहना है कि हड़ताल के दौरान छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित होती है। इससे उनके परीक्षा परिणाम पर भी असर होता है। स्कूलों का परीक्षा परिणाम में भी काफी गिरावट आई है। प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों की तुलना में सरकारी स्कूल के शिक्षक का वेतन कई गुना अधिक है। इसके बाद भी 10वीं, 12वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम भी अनेक स्कूलों में काफी कम आया है। जहां शिक्षकों पर कार्रवाई किए जाने की सिर्फ बात कही गई लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार की ठोस कार्यवाही भी नहीं हुई है।

वहीं अनेक शिक्षक ऐसे हैं जो अपने शिक्षा के मूल कर्तव्य से विमुख होकर अपने निजी काम, अन्य व्यवसाय मैं अधिक समय देकर और अधिक मुनाफा भी कमाते हैं। जिसके कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। वहीं शिक्षक इन सब से कोसों दूर छात्र की पढ़ाई और उन्हें स्कूल में उचित सुविधाएं मिले इसके लिए वे कभी भी आगे आकर किसी से मांग करते नजर नहीं आते हैं। शिक्षकों के इस कार्य से अभिभावकों में खासा आक्रोश व चिंता भी व्याप्त है।

अनेक सरकारी स्कूलों में पानी, बाउंड्रीवॉल, शौचालय की जहां उचित व्यवस्था नहीं है जर्जर भवन में स्कूल संचालित हो रहे हैं। इसके साथ ही अधिकांश शिक्षक छात्र हित की मांगों के बजाय अपने अधिक से अधिक वेतन वृद्धि व पेंशन मिलने सहित अन्य मांगों के लिए ही सदैव आगे नजर आते हैं।

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