सिवनी। कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के वैज्ञानिक डॉ एन के सिंह ने वर्तमान मौसम में उपयोगी सलाह दी है।
कोरोना (कोविड़-19) के फैलाव को देखते हुए किसान भाईयो को सलाह है की तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का उपयोग, साबुन से उचित अंतराल पर हाथ धोना तथा एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाये रखने पर विशेष ध्यान दें।तापमान को देखते हुए सभी फसलों एवं सब्जियों में हल्की सिंचाई करें यह फसलों को संभावित पाले से बचाने में सहायक होती है। देर से बोयी गईगेहूँ की फसल यदि 21-25 दिन की हो गयी तो पहली सिंचाई आवश्कयतानुसार करें तथा 3-4 दिन के बाद नत्रजन की शेष मात्रा का छिड़काव करें। गेहूँ की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे, तो बचाव हेतु किसान क्लोरपायरीफाँस 20 ई.सी. @ 2.0 ली. प्रति एकड़ 20 कि.ग्रा. बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दे, और सिंचाई करें।
वर्तमान में चने की फसल में फली छेदक कीट के निगरानी हेतु फीरोमोन प्रपंश @ 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 10-15% फूल खिल गये हों। “T” अक्षर आकार की खुटिया विभिन्न जगहों पर लगाकर पक्षीयो को खेत मे आश्रय दे गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी हेतु फीरोमोन प्रपंश @ 3-4 प्रपंश प्रति एकड खेतों में लगाएं। इस मौसम में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं। इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।वर्तमान मौसम में आलू तथा टमाटर में झूलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें। लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें। इस मौसम में प्याज की समय से बोयी गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। प्याज में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण पाये जाने पर डाएथेन- एम-45 @ 3 ग्रा. /ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि(1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें। मटर की फसल पर 2 % यूरिया के घोल का छिड़काव करें। जिससे मटर की फल्लियों की सख्याँ में बढोतरी होती है। कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल के पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थेलों में भर कर पाली घरों में रखें। वर्तमान में लहसुन की फसल में रस चूसक कीट थ्रिप्स का प्रकोप देखा जा रहा है नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस सी का 2.5 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करें।