सिवनी। ब्रह्मलीन द्वि पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के सम्मान में, जिला ब्राह्मण समाज के तत्वाधान में, आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों श्रद्धालु नर- नारियों ने भावपूर्ण श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
नंदीकेश्वर धाम बरघट रोड सिवनी में 4 वर्ष पूर्व ,स्वयं महाराज श्री के शुभ हस्ते प्राण- प्रतिष्ठित -श्रीमाता त्रिपुर सुंदरी एवं भगवान श्री परशुराम के सिद्ध मंदिर में आयोजित, इस कार्यक्रम में श्रद्धेय आचार्य पंडित सनत कुमार उपाध्याय, ख्याति लब्ध प्रवचन कर्ता एवं भागवताचार्य पं.अतुल जी रामायणी ,धर्मवीर पंडित अजीत तिवारीशास्त्री, योग- सम्राट पं.श्री महेंद्र मिश्र, शंकराचार्य पत्रकारिता सम्मान प्राप्त श्री प्रमोद शर्मा “प्रखर”,डॉ श्रीदिनेश शर्मा, पं.श्री तोताराम दुबे जी ,की वरद उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
कार्यक्रम का प्रारंभ पूज्य महाराज श्री के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण तथा उपस्थित सभी श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पण, भागवत नाम संकीर्तन से हुआ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए जिला ब्राह्मण समाज अध्यक्ष- श्री ओम प्रकाश तिवारी ने, पुष्पांजलि कार्यक्रम के संबंध में, महाराज श्री के कृपा पात्र शिष्य गीता मनीषी पूज्य ब्रहमचारी श्री निर्विकल्प स्वरूप जी द्वारा सोशल मीडिया में प्रकाशित समसामयिक मार्गदर्शिका का वाचन किया तथा श्री तिवारी ने महाराज श्री के विराट व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए अपने अनुभूत संस्मरण सुना है!
उद्बोधन की कड़ी में-
आचार्य सनत कुमार उपाध्याय जी ने – अपने बाल्यकाल से अब तक पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज श्री का प्राप्त, स्नेहिल सानिध्य की अनुभूति का उल्लेख करते हुए कहा कि, वर्तमान में महाराज श्री जैसे वेद, वेदांत और धर्म-शास्त्र के ज्ञाता तथा मंत्रमुग्ध प्रवचन, अनुशासन प्रिय महान संत दुर्लभ हैं! महाराज श्री वर्तमान में, सनातन धर्म के उन्नायक, एवं रक्षक के रूप में दो वैदिक पीठों के पहले शंकराचार्य विख्यात हुए वे प्रत्येक शिष्य और भक्तों के हृदय में गुरु रत्न स्वरूप में हमेशा विद्यमान रहेंगे!
ख्यातिलब्ध विद्वान कथा वाचक एवं प्रवचन कर्ता-आचार्य पंडित अतुल जी रामायणी ने, ब्रह्मलीन पूज्य गुरुवर को समर्पित भावांजलि प्रकाशित करते हुए कहा कि जिस तरह भगवान श्री कृष्ण के स्वलोक गमन के अवसर पर व्यथित अर्जुन एवं उद्धव जी प्रसंग का आध्यात्मिक निरूपण करते हुए, कहा कि- हमारे गुरुदेव का काया कलेवर समाधिष्ठ हुआ है ,किंतु काया के भीतर विद्यमान गुरुतत्व भाव रूप में हम सबके भीतर हमेशा रहेगा! ब्रह्मलीन गुरुदेव का लंबे समय तक प्राप्त पावन सानिध्य से अभिभूत योग- सम्राट महेंद्र मिश्रा ने अपने संस्मरण सुनाते हुए योगाभ्यास हेतु महाराज श्री द्वारा दी गई प्रेरणा का संस्मरण सुनाया।
ब्रह्मलीन महाराज श्री का पुण्य स्मरण करते हुए, धर्मवीर पं.अजीत तिवारी, जिला ब्राह्मण समाज महासचिव पं.प्रशांत शुक्ला ,एवं श्रीसंतोष चौबे ने, चतुष्पीठ शंकराचार्य परंपरा ,महाराज श्री का विराट व्यक्तित्व एवं कृतित्व ,उनके द्वारा सनातन धर्म के संवर्धन हेतु ऐतिहासिक कार्य, आदि का उल्लेख करते हुए भावांजलि अर्पित किया।
ब्राह्मण समाज वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ.दिनेश शर्मा, नगर अध्यक्ष पं.अशोक तिवारी ,जिला पदाधिकारी श्रीराजेंद्रदुबे ,श्रीराजेंद्रशर्मा, पं सूर्यकांत चतुर्वेदी , महिला-शाखा अध्यक्ष -श्रीमती सरला उपाध्याय, संयोजिका- श्रीमती गीता अवस्थी,एवं श्रीमती शकुंतला तिवारी, महासचिव-श्रीमती अरविंदजा दुबे, नगर अध्यक्ष श्रीमती दुर्गेश्वरी शर्मा ,श्रीमती श्वेता मिश्रा,, श्रीमती मंजू दुबे श्रीमती शैल दुबे ,गूंज संस्था अध्यक्ष- श्रीमती मनीषा चौहान, पतंजलि महिला योग समिति अध्यक्ष श्रीमती श्रीमती सरिता ओझा, अनुराधा ठाकुर,, श्रीमती नीतू दुबे/ श्री संदीप दुबे, श्रीमती राजेश्वरी/आलोक दुबे, श्रीमती सरिता ओझा, श्रीमती गीता शर्मा, ब्राह्मण समाज के वरिष्ठ पं.तोतारामदुबेजी,पं.ताराचंद दुबे, पृथ्वीश नंदन शर्मा ,पं.सुधीर तिवारी ,अमोल शुक्ला, श्री विनोद मिश्रा, श्री संतोष उपाध्याय, पं.नरेश मिश्रा ,दुलीचंदमिश्रा ,शिव शंकर तिवारी ,संतोष अवस्थी ,मुरारी लाल तिवारी, नेभी अपने संक्षिप्त संस्मरण सुनाते हुए महाराज श्री के , श्री चरणों में श्रद्धा-सुमन अर्पित किया।
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