पीजी कॉलेज में ‘जन-जन में राम’ विषय पर  राष्ट्रीय वेबिनार का हुआ आयोजन

राम के बिना लोक और राष्ट्र की कल्पना असंभव- प्रोफेसर यादव

सिवनी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 और भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतःसंबंध पर केंद्रित राष्ट्रीय वेबीनार सह सेमिनार का आयोजन पीजी कॉलेज में किया गया। वेबिनार में गूगल मीट के माध्यम से तो समानांतर रूप में आयोजित सेमिनार  में भौतिक रूप से प्रदेश और देश के विभिन्न  क्षेत्रों के विद्वानों, शोधार्थियों,  प्राध्यापकों,  विद्यार्थियों और तुलसी-साहित्य प्रेमियों ने सक्रिय  हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आमंत्रित अतिथियों ने
रामचरितमानस के रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास का स्मरण करते हुए दीप-प्रज्ज्वलन और पुष्प अर्पण से किया।
‘जन-जन में राम ‘ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के डीन एवं विभाग अध्यक्ष (हिंदी) डॉ राजन यादव
ने कहा कि  लोक में राम अक्षुण्ण रूप से बसे हैं। पेड़-पौधों,  पशु-पक्षी से  लेकर मानव जीवन में राम हैं।  जन्म से लेकर मरण तक राम के बगैर काम नहीं चलता। जीवन के हर क्षेत्र में राम मौजूद हैं। विदेशी धरती पर भी राम हमारे साथ विदेशों तक में व्याप्त हैं। लोक साहित्य के कई उदाहरण देकर राम को व्यापक को बताया। सांस्कृतिक क्षरण पर चिंता जताते हुए  कहा कि राम के बिना लोक और राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती।
डाॅ यादव के मार्मिक  व्याख्यान ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। 

विशेष वक्ता के रूप में डाॅ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के भूतपूर्व हिंदी  विभागाध्यक्ष डॉ सुरेश आचार्य जी ने गूगल मीट के माध्यम से संबोधन में  कहा कि राम का जीवन-दर्शन हर भारतीय के लिए अनुकरणीय है। राम ने दलितों,  वंचितों की चिंता की है। राम और निषादराज का प्रसंग सुनाया। कहा कि राम नाम से भारतीय जीवन संचालित होता रहेगा।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय,  भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति की पूर्व सदस्य  डॉ लक्ष्मी पांडे गूगल मीट के माध्यम से अपने वक्तव्य में बताया कि गुरू नरहरि की प्रेरणा से त्यागा हुआ बालक महाकवि तुलसीदास बना। तुलसी ने रामचरितमानस से राम को घर घर स्थापित कर दिया।

प्राचार्य डॉ रविशंकर नाग ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर रोशनी डाली। कहा कि युवा पीढ़ी को राम को अपनाना होगा। हिंदी विभाग की अध्यक्ष डाॅ सविता मसीह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परंपरा का संक्षिप्त उल्लेख किया। कहा कि राम के जीवन ने हर पीढ़ी को प्रभावित  किया है।
वेबिनार सह सेमिनार का संचालन करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि राम भारतीय जीवन, संस्कृति, परंपरा और  मूल्यों का शाश्वत आधार हैं। हमें राम को नहीं,  रामत्व को धारण करना होगा। भारत के जन-जन में राम समाए हुए हैं। 

कार्यक्रम की शुरुआत में निवेदिता नाग और साथियों ने मंगलाचरण, स्वागत गीत और भाव विभोर कर देने वाले ‘राम के पद’ की संगीतमय प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में डाॅ शशिकान्त नाग,  प्रो अनिल बिंझिया, प्रो केके बरमैया, केसी राउर  का तकनीकी सहयोग रहा। डाॅ अरविंद चौरसिया, डाॅ रवीन्द्र दिवाकर,  डाॅ रेशमा बेगम, डाॅ ज्योत्स्ना नावकर  समेत काॅलेज स्टाॅफ  के सभी सदस्य और  यूजी और पीजी कक्षाओं के छात्र-छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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