सिवनी। ग्राम छिड़िया पलारी, चूना भट्टी जान्हवी नगर थाना डूंडा सिवनी तहसील व जिला सिवनी में कथित रूप से विस्थापित किये गये। झुग्गी झोपडी के निवासीगण ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिवनी / जन उपयोगी लोक अदालत सिवनी द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर स्वतः संज्ञान लेने के उपरांत सफलतापूर्वक निराकृत किये गये प्रकरणों की जानकारी से प्रेरित होकर आज दिनांक 25 मई 2022 को जन उपयोगी लोक अदालत में इस आशय का आवेदन प्रस्तुत किया कि वे ग्राम छिडिया पलारी, चूना भटटी में झोपड़े बनाकर निवास कर रहे है किन्तु वहां प्रशासन के माध्यम से कोई भी मूलभूत व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गयी है।
और वहां पीने का पानी, बिजली सप्लाई, सड़क, नाले एवं अन्य कोई भी मूलभूत व्यवस्थाऐं नहीं है तथा वे उस स्थान पर नारकीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं और उनके बच्चे भी विद्या-अर्जन नहीं कर पा रहे है जिससे उनका भविष्य अंधकार में है जिस कारण उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है और वे सम्मान एवं स्वाभिमान के साथ जीवन नहीं जा पा रहे हैं।
रहवासीगण ने जन उपयोगी लोक अदालत में उपस्थित होकर न केवल मौखिक रूप से व्यक्त किया है बल्कि आवेदन में यह भी उल्लेख किया है कि वे गरीब मजदूर और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं तथा पीने के पानी की व्यवस्था न हो पाने के कारण कुछ दिन पूर्व कुमारी दिव्या पुत्री किशन उईके की गंदा पानी पीने की वजह से संक्रमण के कारण मृत्यु हो गई है और वर्तमान में भी ऐसे अन्य कई बच्चे हैं जो बीमार है।
रहवासीगण ने उपरोक्त आशय का आवेदन प्रस्तुत करते हुए प्रशासन से मूलभूत व्यवस्थाएँ उपलब्ध करवाए जाने हेतु उचित आदेश एवं निर्देश जारी किये जाने का निवेदन किया गया है। सुना गया। विचार किया गया। अवलोकन किया गया। यह आवेदन जन उपयोगी लोक अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया है जिसमें रहवासीगण ने उपरोक्त स्थान पर मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध न होने एवं कुछ दिन पूर्व ही कुमारी दिव्या नामक बालिका की गंदा पानी पीने के कारण संक्रमण से मृत्यु हो जाने का उल्लेख करते हुए शासन से मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराया जाने के संबंध में आवेदन प्रस्तुत किया है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21-ए के अनुसार शिक्षा का अधिकार संवैधानिक अधिकार है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने कावेरी जल विवाद के नाम से सुविख्यात न्याय दृष्टांत कर्नाटक राज्य वि० आंध्र प्रदेश राज्य ओ० एस० कमांक 2/1997 निर्णय दिनांक 25.4.2000 में यह अभिमत प्रकट किया है। कि “जल का अधिकार भी जीने का अधिकार होने के कारण मूलभूत संवैधानिक अधिकार है। विभिन्न माननीय उच्च न्यायालयों एवं माननीय आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने न्याय दृष्टांत पी०आर० सुभाष चन्द्रन वि० आंध्र प्रदेश राज्य 2001 वॉल्यूम 6 ए०एल०टी० 133 में यह अभिमत प्रकट किया है कि राज्य का यह उत्तरदायित्व है कि वह नागरिकों को पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराये। इस प्रकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 में जीने के अधिकार में साफ पानी का अधिकार भी शामिल है तथा राज्य का यह दायित्व है कि वह अपने नागरिकों को मूलभूत व्यवस्थाएँ उपलब्ध कराये मूलभूत अधिकार प्राप्त नहीं किये जाते है बल्कि नागरिक के जन्म लेने मात्र से ही उसे मूलभूत अधिकारों की प्राप्ति हो जाती है।
रहवासीगण द्वारा आवेदन में जिस प्रकार के तथ्यों का उल्लेख किया गया है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि ग्राम छिडिया, पलारी चूना भटटी जानवी नगर थाना डूडासिवनी में कथित रूप से विस्थापित किये गये रहवासीगण को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। आवेदकगण ने आवेदन ने स्वयं को गरीब मजदूर होना व गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने का उल्लेख किया है। बालकों द्वारा शिक्षा प्राप्त न की जा पाना, स्वच्छ पानी की व्यवस्था न हो पाना, गंदा पानी पीने से दिव्या नामक बालिका की मृत्यु संक्रमण हो जाना और इसके बाद भी अन्य बच्चों का अस्वस्थ्य होना बताया जाना अत्यंत चिंताजनक विषय है। यह प्रकरण जनउपयोगी सुविधाओं से संबंधित मामला है। अतः नियमानुसार जनउपयोगी लोक अदालत प्रकरण के रूप में पंजीबद्ध हो। प्रकरण
अतः उपरोक्त समस्त तथ्यों व परिस्थितियों के आलोक में मुख्य कार्यपालक अधिकारी जनपद पंचायत सिवनी, जिला शिक्षा अधिकारी सिवनी एवं मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी सिवनी को सूचनापत्र जारी हो ।
चूंकि आवेदन में रहवासीगण ने दिव्या नामक बालिका की मृत्यु गंदा पानी पीने के कारण संक्रमण से होने, बच्चों के वर्तमान में भी अस्वस्थ्य होने तथा बच्चों द्वारा शिक्षा प्राप्त ना की जा पाने का उल्लेख किया है इस कारण कथित रूप से विस्थापित किये गये। आवेदकगण को गरीब होने के बावजूद भी स्वयं के जीवित होने एवं जिला प्रशासन के जीवित एवं संवेदनशील होने का आभास कराने हेतु उपरोक्त तथ्यों की जानकारी जिले के मुखिया अर्थात जिला कलैक्टर के संज्ञान में लाया जाना उचित प्रतीत होता है। अतः उपरोक्त तथ्यों को जिला कलेक्टर के संज्ञान में लाये जाने हेतु इस आदेश की सत्य प्रति पृथक से पत्र सहित जिला कलैक्टर सिवनी को भेजी जाये। प्रकरण अनावेदकगण की उपस्थिति एवं जवाब प्रस्तुति हेतु दिनांक 16.06.2022 को पेश हो।
जनोपयोगी लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी श्री विकास शर्मा द्वारा स्वतः संज्ञान लिया।
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